ग्रामीण क्षेत्रों में ऐप-आधारित दोपहिया टैक्सी वाहन चलाने का श्री गडकरी का सुझाव


परिवहन के मुद्दों का समाधान करने के लिए उनका मंत्रालय एक हेल्पलाइन शुरू
राज्य के परिवहन मंत्रियों को ऐप-आधारित दोपहिया टैक्सियों का संचालन करना चाहिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जो कि किसानों के सुचारू आवागमन में सहायता प्रदान करेंगे। इससे रोजगार के नए अवसर भी बढ़ेंगे। यह बात वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से, राज्य केंद्र शासित प्रदेश के सड़क परिवहन मंत्रियों के साथ आयोजित बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री, नितिन गडकरी ने कही।
उन्होंने कहा कि वे सार्वजनिक परिवहन को एलएनजी सीएनजी, ई-वाहनों में परिवर्तित करने की भी कोशिश कर सकते हैं जो ईंधन के बिलों में बहुत हद तक बचत करेगा और कम शून्य प्रदूषणकारी ईंधन होने के कारण पर्यावरण को भी मदद पहुंचाएगा।
श्री गडकरी ने कहा कि सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों से अंतरराज्यीय यूटी सीमाओं पर लगे ट्रकों और लॉरियों के आवागमन को यथाशीघ्र मंजूरी प्रदान करने की दिशा में तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया है, जिससे कि इन अवरोधों को समाप्त किया जा सके, क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं के आवागमन का सुचारू रूप से चलना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन के मद्देनजर, नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने के लिए ट्रक लॉरी के आवागमन को सुविधाजनक बनाने पर तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

श्री गडकरी ने मंत्रियों से ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने और स्थानीय जिला प्रशासनों के माध्यम से इन प्रस्तावों को सुनिश्चित करवाने का आग्रह किया।

उसी समय, उन्होंने ड्राइवरों क्लीनरों और ढाबों के द्वारा स्वास्थ्य सलाहों और अन्य दिशा-निर्देशों का पालन करने की जरूरत के बारे में भी बताया, जैसे उचित सामाजिक दूरी अपनाना, मास्क पहनना, सैनिटाइजर का उपयोग करना आदि।

श्री गडकरी ने आगे कहा कि श्रमिकों को कारखानों आदि में लाने वाले परिवहन में स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का विधिवत रूप से पालन किया जाना चाहिए, जैसे एक मीटर की न्यूनतम दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना, सैनिटाइजर का उपयोग करना आदि। उन्होंने कहा कि सामाजिक दूरी और स्वच्छता के मानदंडों का पूरी तरह से पालन करते हुए श्रमिकों के लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था को सुनिश्चित की जा सकती है।

इस बैठक में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह भी मौजूद थे। परिवहन और पीडब्ल्यूडी मंत्रियों उप-मुख्यमंत्रियों के अलावा, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी इसमें हिस्सा लिया, उनके साथ सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, एनएचएआई, एनएचआईडीसीएल आदि के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

अपनी बात रखते हुए जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने राज्यों और केंद्र के बीच ज्यादा समन्वय स्थापित करने का आह्वान किया जिससे परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए, उन्होंने बताया कि अगर कार्यों को एक केन्द्रीय एजेंसी से दूसरे एजेंसी में स्थानांतरित किया जाता है तो उनके लिए अलग पंजीकरण शुल्क पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रथाओं को दूर किया जाना चाहिए।

लॉकडाउन की अवधि के दौरान मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रदर्शन करते हुए एक प्रस्तुति दी गई। यह कहा गया कि 5,89,648 करोड़ रुपये की लागत वाली 49,238 किलोमीटर की दूरी वाली 1,315 परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें से 3,06,250 करोड़ रुपये की लागत वाली 30,301 किलोमीटर की दूरी वाली 819 परियोजनाओं में देरी हुई है। यह राज्य-विशिष्ट मुद्दों, जैसे लंबित भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी आदि को भी दर्शाता है जिसके कारण परियोजना के कार्यान्वयन में देरी हो रही है। प्रतिभागी राज्यों को राजमार्ग क्षेत्र के सामने उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को कम करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने का भी सुझाव दिया गया।